06. स्केलिंग इन और स्केलिंग आउट: आपको इन ट्रेडिंग रणनीतियों के बारे में क्या पता होना चाहिए

क्यूरेट बाय
विशाल मेहता
इंडिपेंडेंट ट्रेडर; टेक्निकल एनालिस्ट
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आप यहाँ क्या सीखेंगे

  • हक़ीक़त में ट्रेडिंग में स्केलिंग क्या है
  • कैसे स्केलिंग पोटेंशियल लॉसेस को कम करने में मदद करता है
  • स्केलिंग इन और स्केलिंग आउट के बीच मुख्य अंतर
  • स्केलिंग के फायदे और नुकसान

स्केलिंग को आमतौर पर किसी चीज़ के माप के रूप में समझा जाता है। हमने एवरेस्ट या किलिमंजारो आदि जैसी प्रसिद्ध पर्वत चोटियों पर पर्वतारोहियों के बारे में सुना है।ट्रेडिंग दुनिया में, यह एक मापा तरीके से ऊपर या नीचे चढ़ने जैसा है। स्केलिंग एक लोकप्रिय ट्रेड और मनी मैनेजमेंट टूल है जिसका इस्तेमाल ट्रेडर्स द्वारा पोटेंशियल लॉसेस को सीमित करने और प्रॉफ़िट्स में सुधार करने के लिए किया जाता है।

स्केलिंग बाइंग या सेलिंग की ऑप्टीमल एवरेज कॉस्ट के लिए पोजीशन को जोड़ने या घटाने की एक ग्रेजुअल प्रक्रिया है। जायदातर ट्रेडर्स एक ही बार में खरीद या बिक्री करते हैं। दूसरी ओर, स्केलिंग इन्टेन्डेड कैपिटल के एक भाग के साथ एक ट्रेड खोल रहा है। यह लॉस के रिस्क को कम करता है, अगर ट्रेड उम्मीदों के खिलाफ जाता है और कैपिटल का केवल एक हिस्सा शामिल होता है। हालांकि, यदि ट्रेड आपके फेवर में चलता है, तो पोजीशन को ऐड किया जा सकता है। हालांकि इसका मतलब यह भी है कि जब आप ट्रेंड के फेवर में अपनी पोजीशन ऐड करते हैं तो प्रॉफिट कम हो जाता है। इसी तरह, स्केलिंग से प्रॉफिट बुक करने में भी मदद मिलता है, क्योंकि मल्टीपल एग्जिट से ज्यादा प्रॉफिट कमाने में मदद मिलता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि स्केलिंग कई एंट्री या एग्जिट पॉइंट्स की परमिशन देता है। किसी भी ट्रेड में एक सर्वश्रेष्ठ एंट्री पॉइन्ट नहीं हो सकता। कई ट्रेडर्स ट्रेड से बचते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे एंट्री पॉइन्ट से चूक गए हैं और प्राइस बढ़ गई है। इस समस्या को स्केलिंग में कम किया जाता है क्योंकि ट्रेड को कई एंट्री पॉइन्ट पर लिया जाता है।

स्केलिंग उन स्टॉक्स में मदद करता है जिनमें कम लिक्विडिटी होती है , बाइंग और सेलिंग का स्टॉक के प्राइस पर काफी असर पड़ सकता है।

स्केलिंग दो प्रकार के होते है; स्केलिंग इन और स्केलिंग आउट।

NIFTY - Scaling In and ScalingOut

स्केलिंग इन

स्केलिंग इन या स्केलिंग अप में कम मात्रा में लॉट के साथ एक ट्रेड खोलना है और जब ट्रेड फेवर में बढ़ने लगता है तो लॉट को धीरे-धीरे बढ़ाना शामिल है। ट्रेंड के आधार पर एंट्री प्वाइंट दो या ज़ायदा हो सकते हैं। इनिशियल पोजीशन के बाद, अगला एंट्री प्वाइंट ट्रेडर की स्ट्रेटेजी द्वारा डेटर्मिन्ड की गयी प्रीडेटर्मिन्ड प्राइस रेंज पर होगा।

उदाहरण के लिए, निफ्टी के 15 मिनट के चार्ट में ट्रेंड में बदलाव देखा गया है। प्वाइंट 1 पर, एस1 पर सपोर्ट मिलने के बाद निफ्टी ने हाई बॉटम बनाया है। प्राइस 20 एसएमए से ऊपर जाने के बाद खरीदारी की जा सकती है। प्वाइंट 2 पर, निफ्टी ने फिर से एक शार्प बॉटम बनाया जहां कीमत 20 एसएमए के ऊपर पार होने पर एक और पोजीशन जोड़ा जा सकता है। इसी तरह, प्वाइंट 3 पर एक और पोजीशन जोड़ा जा सकता है।

स्केलिंग आउट

स्केलिंग आउट या स्केलिंग डाउन में पोजीशन को धीरे-धीरे कम करना शामिल है क्योंकि ट्रेड या तो जारी रहता है या कंसॉलिडेट्स होता है या रेजिस्टेंस का सामना करना शुरू कर देता है। यह ट्रेंड कॉन्टीनुअशन का फायदा लेने के लिए पोजीशन के एक हिस्से को बुक करते समय पोजीशन के कुछ हिस्से को होल्ड किये रखने में मदद करता है। उसी उदाहरण को जारी रखते हुए, प्वाइंट 4 पर, कोई भी उनसेरटेनिटी देख सकता है और हमें इसे कम करने पर सोच विचार करना चाहिए। प्वाइंट 5 इसकी पुष्टि करता है और जैसे ही कीमत 20 एसएमए से नीचे जाती है, हम इसे कम करना शुरू कर सकते हैं। प्वाइंट 6 पर, निफ्टी पिछले टॉप को पार करने में असमर्थ है, यदि कीमत 20 एसएमए से नीचे जाती है तो फिर से स्केल-डाउन का संकेत मिलता है।प्वाइंट 7 पर निफ्टी को रेजिस्टेंस का सामना करना पड़ रहा है और फिर से कीमत 20 एसएमए से नीचे जाने पर एग्जिट किया जा सकता है।

स्केलिंग के फायदे

जैसा कि ऊपर चर्चा किया गया है, सबसे बड़ा लाभ एवरेजइंग है। दूसरा, यह रिस्क को कम करता है अगर शरुआती ट्रेड उम्मीद के ख़िलाफ़ जाता है और पैसा जो लोस्स हो जाता है या स्टॉप लॉस बहुत ही कम होता है। तीसरा, एंट्री और एग्जिट सावधानीपूर्वक सोच विचार के बाद किया जा सकता है क्योंकि डिस्पोसल में समय अधिक होता है। यह नी-जर्क और बेतरतीब एंट्री और एग्जिट से बचाता है।

स्केलिंग का नुकसान

स्केलिंग में सबसे बड़ा नुकसान या रिस्क हाथ में पोजीशन है, अगर ट्रेड उम्मीद के ख़िलाफ़ जाता है। ट्रेडिंग में अनएक्सपेक्टेड मार्केट रिवर्सल का रिस्क एक जानी मानी चीज है। यह रिस्क स्केलिंग में इन्हेरीटेंट है, क्योंकि उस वक़्त पोजीशन ऐड किया जाता है जब मार्केट ट्रेडर के पक्ष में ट्रेंड करता है और अंततः एक बड़े रिस्क के साथ समाप्त होता है।

इसके अलावा, बाद में ऐड किये गए पोजीशन ट्रेंड के समाप्ति के करीब हो सकते हैं। यदि सही मनी मैनेजमेंट तकनीक का उपयोग नहीं किया जाता है तो लॉस काफी अच्छे खासे कैपिटल को ख़त्म कर सकता है। पार्ट प्रॉफिट लेना ओवरॉल प्रॉफिट को कम कर देता है। स्केलिंग से कमीशन कॉस्ट भी बढ़ जाते है।

निष्कर्ष

स्केलिंग एक ट्रेडर को कईआराम प्रदान करता है और इसलिए यह एक पेशेवर ट्रेडर और नए ट्रेडर के लिए भी बहुत अच्छा है। यह ट्रेडर को धैर्य और आत्मविश्वास डेवलप करने में भी मदद करता है क्योंकि स्केलिंग में सोचने और ट्रेड करने के अधिक अवसर मिलते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को प्रॉफिट नहीं कामना चाहिए। जब पोजीशन बहुत आगे निकल गई हो तो रेगुलर प्रॉफिट बुक करना एक गुण के रूप में डेवलप किया जाना चाहिए। हालांकि रिस्क मैनेजमेंट स्केलिंग में जुड़ा हुआ है, लेकिन हार्ड स्टॉप या ओवरआल परसेंटेज स्टॉप लॉस होना जरूरी है। याद रहें ऐड तभी करना जब पोजीशन फेवर में हो नाकि विपक्ष में।

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