एनुअल रिपोर्ट कैसे पढ़ें?
एनुअल रिपोर्ट पढ़ना इंडस्ट्री में नए लोगों को डरावना लग सकता है। हालाँकि, सही गाइडेंस और एप्रोच के साथ, ये एक ऐसा पहाड़ है जिस पर हर एस्पाइरिंग इन्वेस्टर और ट्रेडर चढ़ सकता है।
अब तक आप जानते हैं, कंपनियां हर साल अपनी एनुअल रिपोर्ट पब्लिश करती हैं और कंपनी की कोई भी दो एनुअल रिपोर्ट (अलग सालों का) एक बराबर नहीं होता हैं। इसलिए, किसी कंपनी के पिछले परफॉरमेंस और गोल के आधार पर वैलुएबल इनसाइट्स हासिल करने के लिए हर एक साल के एनुअल रिपोर्ट को बारीकी से देखना आपके लिए ज़रूरी है।
आइए एनुअल रिपोर्ट में शामिल किए गए मेजर सेक्शंस की लिस्ट के लिए पिछले चैप्टर्स पर वापस जाएं:
- बैलेंस शीट
- पी एंड एल स्टेटमेंट
- कॅश फ्लो स्टेटमेंट
- चेयरमैन डॉयलोग
- डायरेक्टर्स रिपोर्ट
- मैनेजमेंट डिस्कशन और एनालिसिस
- ऑडिटर्स रिपोर्ट
- अकाउंट्स और रिलेटेड पार्टी ट्रांज़ैक्शन नोट्स
अब हम एक एनुअल रिपोर्ट के अलग अलग सेक्शंस में गहराई से बात करेंगे, और सीखेंगे कि वे कंपनी के ओवरऑल परफॉर्मन्स में कैसे रौशनी डालते हैं और फ्यूचर के बारे में वे क्या संकेत दे सकते हैं।
रेसोलुशन नोटिस: ये वो सेक्शन है जिसमें डायरेक्टर्स के रेम्यूनरेशन में इंक्रीमेंट का प्रोपोज़ल होता है। बेशक, कंपनी ऍक्ट मैक्सिमम रेम्यूनरेशन पर लिमिट रखता है जो डायरेक्टर्स को दिया जा सकता है, जिसके ऊपर कंपनी को शेयरहोल्डर्स की मंजूरी लेनी होती है। अगर कंपनी की इनकम में इंक्रीमेंट की तुलना में मैनेजमेंट का रेम्यूनरेशन तेजी से बढ़ रहा है, तो आपको कंपनी और उसके शेयरहोल्डर्स के प्रति, मैनेजमेंट की ईमानदारी के बारे में सतर्क रहने की ज़रूरत हो सकती है।
कंपनी हेड का संदेश: किसी कंपनी का हेड, चाहे वह चैयरमेन हो, मैनेजिंग डायरेक्टर या सीईओ हो, एनुअल रिपोर्ट का इस्तेमाल एक मीडियम के लिए करता है ताकि वह पिछले सालों की परिस्थितियों और कंपनी के फ्यूचर के बारे में अपने विचार सामने रख सके। वे आम तौर पर ब्रॉड प्रेस्पेक्टिव पर चर्चा करते हैं और आपको उनके स्टेटमेंट्स को इंटरप्रिट करने में सावधान रहना होगा। साथ ही इन स्टेटमेंट्स को अलग से नहीं पढ़ा जाना चाहिए। मैसेज को बेहतर ढंग से समझने के लिए रिपोर्ट के फैक्टुअल आस्पेक्ट्स को एक साथ पढ़ा जाना चाहिए। आप अनुभव के साथ इन मैसेजेस को ज़ायदा स्पष्ट रूप से समझने में बेहतर होंगे।
यहाँ एक रिटेल कंपनी और एक पेंट कंपनी के एमडी का मैसेज दिया हुआ हैं। जहाँ पहला, मुश्किल वक़्त से गुजरने के लिए कॉस्ट कटिंग पर जोर देता है, वहीं दूसरा नए एन्ट्रेंट्स की वजह से बढ़ती कम्पीटीशन के बारे में चिंता जताता है, जो ना सिर्फ इस कंपनी बल्कि पूरे इंडस्ट्री को एफेक्ट कर सकता है।
डायरेक्टर्स की रिपोर्ट और एमडीए: डायरेक्टर्स की रिपोर्ट और मैनेजमेंट डिस्कशन और एनालिसिस (एमडीए) एनुअल रिपोर्ट का एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट नॉन-फाइनेंसियल पार्ट है जो आपको कई सवालों के जवाब खोजने में मदद कर सकता है, जो फाइनेंसियल एनालिसिस करते समय आपके सामने आ सकते हैं।
कुछ मामलों में, कंपनियां एमडीए में इकोनॉमी और इंडस्ट्री से जुड़ी जायदातर मामलों पर चर्चा करती हैं। इसलिए इस रिपोर्ट को अच्छी तरह से पढ़ना ज़रूरी है ताकि बिज़नेस के लिए अवसरों और थ्रेट्स/रिस्क्स का पता लगाया जा सके जैसा कि बिल्डिंग मटेरियल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की एनुअल रिपोर्ट से ऊपर दिए गए उदाहरण में दिखाया गया है।
एमडीए सेगमेंट-वाइज या प्रोडक्ट-वाइज परफॉर्मेंस ब्रेकडाउन भी देता है, जो कंपनी के बॉटम लाइन में प्रमुख कंट्रीब्युटर्स को जानने में बहुत मदद करता है। कंपनी के ऑपरेटिंग एनवायरनमेंट की स्पष्ट तस्वीर हासिल करने के लिए आपको उसी इंडस्ट्री में अन्य कंपनियों की एनुअल रिपोर्ट/एमडीए भी देखनी चाहिए।
कॉरपोरेट गवर्नेंस रिपोर्ट: हालांकि, पुरे तौर से, नॉन-फाइनेंसियल ये रिपोर्ट इन्वेस्टर्स के लिए तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रहा है, खास कर के इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स के लिए क्योंकि यह इंटरनल प्रक्टिसेस और पॉलिसीस से जुडी है जो इफेक्टिव फैसलें लेने और लीगल कंप्लायंस की ओर ले जाता हैं। आज, कई इन्वेस्टर्स किसी कंपनी की ईएसजी (एनवायर्नमेंटल, सोशल और गवर्नेंस) स्ट्रेटेजी को लेकर सख्त हैं। इस तरह की स्ट्रेटेजीस मटेरियल सोर्सिंग और एफिशिएंसी, सप्लाई चैन मैनेजमेंट, प्रोडक्ट डिजाइन और लाइफ साइकिल मैनेजमेंट, लेबर प्रैक्टिसेस और एनर्जी मैनेजमेंट के आस-पास घूमती हैं। लंबे समय में, कंपनी की ईएसजी पॉलिसी ऑपरेशन्स को सुगम बनाएगी, टैलेंट्स को आकर्षित करने में मदद करेगी, कॉस्ट कम करेगी और एनवायर्नमेंट के साथ हार्मोनी कायम करेगी ।
यहाँ एक लीडिंग आईटी कंपनी के कॉर्पोरेट गवर्नेंस रिपोर्ट का एक अंश दिया गया है।
इन्वेस्टर के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस रिपोर्ट का अच्छी तरह से स्टडी करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रिस्क मैनेजमेंट, इंटरनल कंट्रोल, बोर्ड बैलेंस और डायरेक्टर्स के रेम्यूनरेशन जैसे मुद्दों से जुड़ा होता है।
बिज़नेस रेस्पॉन्सिबिलिटी रिपोर्ट: कंपनी के बारे में जानकारी देने के अलावा, बिज़नेस रेस्पॉन्सिबिलिटी रिपोर्ट बिज़नेस रेस्पॉन्सिबिलिटीस के लिए पॉलिसीस, सीएसआर बजट और खर्च, एम्प्लोयी डिटेल्स और एनवायरनमेंट को प्रिज़र्व करने के लिए कंपनी द्वारा उठाए गए कदम के बारे में बात करता है। सीएसआर खर्च और परमानेंट और टेम्प्रररी एम्प्लोयी की संख्या जैसे डिटेल्स यह बताती है की कंपनी ह्यूमन रिसोर्सेज के साथ-साथ सोसाइटी के हित को कितना महत्व देती है।
फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स : फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स एनुअल रिपोर्ट का दिल और फाइनेंसियल एनालिस्ट की बैकबोन हैं। वे फाइनेंसियल टर्म में कंपनी के प्रदर्शन के रिजल्ट, इसकी नेट वर्थ और ऑपरेशन्स और अन्य सोर्सेस से फण्ड जेनेरेट करने की पोटेंशियल को जाहिर करते हैं। जब हम ट्रेंड्स का पता लगाने के लिए कई सालों के डेटा की तुलना करते हैं तो ऐसे जानकारी का वैल्यू काफी बढ़ जाता है। अलग अलग रेश्यो की कैलकुलेशन और उनका एनालिसिस और पिछले डेटा और सेक्टर की अन्य कंपनियों के साथ तुलना करने से आपको यह निष्कर्ष निकालने में मदद मिलेगा कि कोई कंपनी इन्वेस्टमेंट के योग्य है या नहीं।
ऑडिटर की रिपोर्ट: मेरिट या एडवर्स कमेंट के लिए ऑडिटर की रिपोर्ट को पढ़ना ज़रूरी है क्योंकि इसका बिज़नेस ऑपरेशन पर असर पड़ सकता है। साथ ही, अगर किसी कंपनी ने अपने ऑडिटर को बदल दिया है, तो यह वेरीफाई करना ज़रूरी है कि बदलाव किन परिस्थितियों में हुआ है। अगर पहले के ऑडिटर ने जानकारी देने से इनकार किया या गवर्नेंस इशू के वजह छोड़ दिया है, तो ऐसी कंपनी से दूर रहना बेहतर है।
रिलेटेड पार्टी ट्रांज़ैक्शन: हालांकि इन ट्रांज़ैक्शन पर बैन नहीं लगाया गया है, अगर किसी कंपनी के पास इस हेड के तहत अपने ट्रांज़ैक्शन का जायदातर हिस्सा है, तो इससे ट्रंपेरन्सी और गवर्नेंस इशू हो सकते हैं और आखिर में कंपनी की रेपुटेशन में दिक्कतें आ सकती है।
ज़रूरी बातें :
- एनुअल रिपोर्ट के हर एक पार्ट को स्टडी करना ज़रूरी है ।
- पास्ट और उसी इंडस्ट्री में अन्य कंपनियों की एनुअल रिपोर्ट कंपनी के परफॉरमेंस के बारे में स्पष्ट तस्वीर देती है ।
- एनुअल रिपोर्ट के फाइनेंसियल और नॉन-फाइनेंसियल आस्पेक्ट्स को एक साथ पढ़ा जाना चाहिए ।