लॉन्ग स्ट्रैडल और शॉर्ट स्ट्रैडल ट्रेड: इसमें कैसे खलें और ट्रेड डायनामिक्स

क्यूरेट बाय
विवेक गडोदिया
सिस्टम ट्रेडर और एल्गो स्पेशलिस्ट

आप इस चैप्टर में क्या सीखेंगे

  • स्ट्रैडल क्या है?
  • स्ट्रैडल कैसे खेलें?
  • लॉन्ग और शॉर्ट स्ट्रैडल में ग्रीक्स

एक नॉन-डायरेक्शनल स्ट्रेटेजी वह है जहाँ ट्रेडर निश्चित नहीं है कि मार्केट किस दिशा में आगे बढ़ेगा। हालांकि, वह एक बात जानता है किमार्केट जिस भी दिशा में आगे बढ़ेगा, वह विस्फोटक होगा। बहुत कम समय में मार्केट द्वारा बहुत बड़ी दूरी तय की जाएगी। ऐसा सीनारिओ तब होता है जब एनुअल बजट, क्रेडिट पॉलिसीस, इलेक्शन या कॉर्पोरेट एअर्निंग्स जैसी कोई घटना होती है। घटना से ठीक पहले, मार्केट उम्मीदों के साथ गद गद है और घटना के परिणाम को जानने वाला कोई नहीं है। नॉन-डायरेक्शनल ऑप्शन स्ट्रेटेजीज को लेकर इस तरह की घटनाओं का सबसे अच्छा फायदा उठाया जाता है।

ऐसी घटना में सबसे आम ऑप्शन स्ट्रेटेजी स्ट्रैडल है।

स्ट्रैडल क्या है?

स्ट्रैडल एक न्यूट्रल ऑप्शन स्ट्रेटेजी है जिसमें एक ही स्ट्राइक प्राइस और एक ही एक्सपायरी डेट वाले एक ही अंडरलाइंग के एक कॉल और एक पुट ऑप्शन को एक साथ खरीदना शामिल है।

जब कॉल और पुट दोनों ऑप्शन खरीदे जाते हैं तो स्ट्रेटेजी को लॉन्ग स्ट्रैडल भी कहा जाता है।

ट्रेडर को स्ट्रैटेजी से तभी फायदा होगा जब मार्केट या अंडरलाइंग एक्सपायरी डेट से पहले तेजी से चलता है। यह कदम स्ट्रैडल खरीदने कीकॉस्ट से ज़ायदा होना चाहिए।

लॉन्ग स्ट्रैडल पेऑफ डायग्राम

लॉन्ग स्ट्रैडल को पेऑफ डायग्राम के जरिए सबसे अच्छी तरह समझा जा सकता है।

Payoff diagram of a Components of the Straddle

पेऑफ डायग्राम स्ट्रैडल के कंपोनेंट्स को दिखाता है - एक लॉन्ग कॉल और एक लॉन्ग पुट।

आइए इस उदाहरण को लें। निफ्टी अभी 17,534.75 पर ट्रेड कर रहा है। इसलिए, सबसे करीब एट-द-मनी (एटीएम) स्ट्राइक प्राइस 17,550 है। 25 अगस्त 17550 CE के निफ्टी को 238 रुपये और निफ्टी के 25 अगस्त 17550 PE को 239.35 रुपये पर खरीदने से लॉन्ग स्ट्रैडल बनता है। ध्यान दें कि अंडरलाइंग इंस्ट्रूमेंट – निफ्टी, एक्सपायरी डेट – 25 अगस्त, और स्ट्राइक मूल्य – 17550 दोनों कॉल और पुट ओप्तिओंस बराबर हैं।

ट्रेड डायनामिक्स

निफ्टी की एक यूनिट के लिए स्ट्रैडल खरीदने का कॉस्ट 238 रुपये + 239.35 रुपये = 477.35 रुपये है।

निफ्टी के 1 लॉट (50 यूनिट) के लिए कॉस्ट 23,867.50 रुपए प्लस टैक्स और ब्रोकरेज है। यह, इस ट्रेड को लेकर ट्रेडर को मैक्सिमम लॉस भी हो सकता है।
ध्यान दें कि यह पीक लॉस संभव है अगर मार्केट ठीक 17,550 के स्ट्राइक मूल्य पर बंद होता है।

इस ट्रेड को लेने के लिए कैपिटल भी मैक्सिमम लॉस के बराबर है, यानी 23,867.50 रुपये। ट्रेड तभी प्रॉफिटेबल होगा जब निफ़्टी दोनों ओर कॉस्ट की दूरी से आगे बढ़े।
इस प्रकार, लॉन्ग साइड पर ब्रेक इवन 17,550+477.35 = 18,027.35 है।
और नीचे की तरफ ब्रेक इवन 17,550-477.35 = 17,072.65 है।

प्रॉफिट की संभावना वरर्तुअली अनलिमिटेड है, जब तक कीमत ब्रेकइवन से आगे बढ़ती है।

यह एक रिस्क-डिफाइंड स्ट्रेटेजी है जहां ट्रेडर को पहले से ही पता होता है कि पोजीशन लेने से उसे कितना नुकसान होने वाला है।

लॉन्ग स्ट्रैडल में ग्रीक्स

लॉन्ग स्ट्रैडल स्ट्रैटेजी को डेल्टा न्यूट्रल स्ट्रैटेजी माना जाता है। चूंकि एटीएम लॉन्ग कॉल (+50) का डेल्टा एटीएम लॉन्ग पुट (-50) के डेल्टा को कैंसल कर देगा, इसलिए स्ट्रैटेजी का नेट डेल्टा 0 है।

स्ट्रैटेजी बनाते समय विचार किया जाने वाला दूसरा ग्रीक थीटा है। अगर एक्सपायरी के दिन करीब हैं, तो थीटा का स्ट्रैटेजी के प्रोफिटेबिलिटी पर प्रभाव पड़ेगा। लेकिन अगर एक्सपायरी का दिन दूर है, तो थीटा का मिनिमम प्रभाव होगा।

घटना की गंभीरता के आधार पर, ट्रेडर्स उनकी एक्सपायरी डेट चुनते हैं। उदाहरण के लिए, अगर इलेक्शन के दिन या बजट के दिन वर्त्तमान एक्सपायरी डेट के करीब है, तो ट्रेडर अगली समाप्ति पर ट्रेड करेंगे क्योंकि घटना का प्रभाव दिनों तक दिखाई देगा।

स्ट्रैटेजी को लागू करने में वोलैटिलिटी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लॉन्ग स्ट्रैडल तब लिया जाता है जब वोलैटिलिटी कम होता है, जिससे प्रीमियम की कीमतें कम रहती हैं और इस तरह स्ट्रैडल को खरीदने का कॉस्ट भी कम होता है। एक कम वोलैटिलिटी वाला माहौल एक अच्छा रिस्क-रिवार्ड स्ट्रैडल ट्रेड प्रदान करता है।

लेकिन साथ ही, कम वोलैटिलिटी वाला सिनेरियो बताता है कि मार्केट इस घटना से ज्यादा उम्मीद नहीं कर रहा है । दूसरे शब्दों में, यह एक गैर-घटना होने की ज़ायदा संभावना है और अंडर लाइंग ज्यादा नहीं मूव करेगा।

शॉर्ट स्ट्रैडल

जब एक ही अंडरलाइंग, स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट के एटीएम कॉल और पुट ऑप्शन को बेचकर कोई ट्रेड बनाया जाता है, तो उसे शॉर्ट स्ट्रैडल कहा जाता है।

यह लॉन्ग स्ट्रैडल ट्रेड के अपोजिट है, और इसमें एक पेऑफ डायग्राम है जो शॉर्ट स्ट्रैडल की मिरर इमेज है।

शॉर्ट स्ट्रैडल का पेऑफ डायग्राम

Payoff diagram of a short straddle

निफ्टी में शॉर्ट स्ट्रैडल तब बना है जब बाजार 17,534.75 पर था। एटीएम के रूप में लिया जाने वाला सबसे करीब स्ट्राइक 17,550 है। ध्यान दें कि अंडरलाइंग इंस्ट्रूमेंट - निफ्टी, एक्सपायरी डेट - 25 अगस्त, और स्ट्राइक प्राइस - 17,550 दोनों कॉल और पुट ऑप्शंस बराबर हैं।

ट्रेड डायनामिक्स

17,550 CE 238 रुपये में बिक रहा है।
17,550 PE 239.35 रुपये पर बिक रहा है।
निफ्टी की प्रति यूनिट नेट प्रीमियम 477.35 रुपये है।
निफ्टी (50 यूनिट) के प्रति लॉट के लिए नेट प्रीमियम 23,867.50 रुपये है।
ट्रेड में मैक्सिमम प्रॉफिट = नेट प्रीमियम कलेक्टेड = 23,867.50 रुपये।
ध्यान दें कि यह मैक्सिमम प्रॉफिट तब संभव है जब मार्केट 17,550 के स्ट्राइक प्राइस पर बंद होता है।
इस स्ट्रेटेजी को बनाने के लिए मार्जिन की ज़रूरत 124,817 रुपये है।
मैक्सिमम लॉस अनलिमिटेड है।
निफ्टी कोन के भीतर रहने पर ही ट्रेड फायदेमंद होगा।
इस प्रकार, लॉन्ग साइड पर ब्रेक इवन है 17,550+477.35 = 18,027.35
और नीचे की तरफ ब्रेक इवन 17,550-477.35 = 17,072.65 है।
शॉर्ट स्ट्रैडल एक नॉन-डायरेक्शनल स्ट्रेटेजी है जहां लॉस की संभावना अनलिमिटेड है और स्ट्रेटेजी में लाभ की क्षमता सीमित है।

शॉर्ट स्ट्रैडल में ग्रीक्स

शॉर्ट स्ट्रैडल स्ट्रैटेजी भी डेल्टा न्यूट्रल स्ट्रैटेजी है। चूंकि एटीएम शॉर्ट कॉल (-50) का डेल्टा एटीएम लॉन्ग पुट (+50) के डेल्टा को कैंसल कर देगा, इसलिए स्ट्रैटेजी का नेट डेल्टा 0 है।

स्ट्रैटेजी बनाते समय विचार किया जाने वाला दूसरा ग्रीक थीटा है। शॉर्ट स्ट्रैडल स्ट्रैटेजी थीटा के बेकार होने का लाभ उठाने के बारे में है। यह पसंदीदा इंट्रा-डे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में से एक है, जहां ट्रेडर का लक्ष्य गिरते ऑप्शन प्राइस को कैपिटलाइज़ करना है।

शॉर्ट स्ट्रैडल ट्रेड ज्यादातर मौजूदा एक्सपायरी ऑप्शन पर लिए जाते हैं क्योंकि वे बाद की तारीख की एक्सपायरी की तुलना में तेजी से गिरते होते हैं।
कई प्रोफेशनल ट्रेडर्स इवेंट के दिनों में शॉर्ट स्ट्रैडल स्ट्रेटेजीज का इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर, जैसे-जैसे इवेंट का दिन नजदीक आता है, वोलैटिलिटी बढ़ती जाती है, जिसके परिणाम में ऑप्शन प्रीमियम बढ़ते हैं। ऐसे में शॉर्ट स्ट्रैडल ट्रेड इन्वेस्टमेंट पर बेहतर रिटर्न प्रदान करता है। जैसे-जैसे प्रीमियम बढ़ता है, ब्रेकइवन का लेवल वाइड होता जाएगा, जिससे फायदे के लिए वाइडर रेंज की पेशकश की जाएगी। ट्रेडर्स हालांकि, इस ट्रेड को इवेंट के बाद की वोलैटिलिटी से लाभ उठाने के लिए लेते हैं।

इस स्ट्रेटेजी में वोलैटिलिटी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इम्प्लाइड वोलैटिलिटी रैंक (आईवीआर) या इंप्लाइड वोलैटिलिटी पर्सेंटाइल (आईवीपी) द्वारा मापी गई वोलैटिलिटी जितना ज़ायदा होगा , ट्रेड में इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न उतना ही बेहतर होगा और ब्रेक इवन प्वाइंट ब्रॉडर होगा।

निष्कर्ष

स्ट्रैडल्स सबसे सरल स्ट्रेटेजीज में से एक हैं और शुरुआती स्ट्रेटेजीज में से एक हैं, जिससे नए ऑप्शन ट्रेडर्स को दिशा मिल सकता है। प्रोफेशनल ट्रेडर लॉन्ग स्ट्रैडल की तुलना में शॉर्ट स्ट्रैडल पसंद करते हैं क्योंकि ऑप्शंस बेचने में सफलता की संभावना बेहतर होती है।

याद रखने वाली चीज़ें

  • एक न्यूट्रल ऑप्शन स्ट्रेटेजी जिसमें एक ही स्ट्राइक प्राइस और एक ही एक्सपायरी डेट के एक ही अंडरलाइंग के कॉल और एक पुट ऑप्शन के एक साथ खरीदारी शामिल है, यह एक लॉन्ग स्ट्रैडल है। जब इंस्रूमेंट्स बेचे जाते हैं, तो इसे शॉर्ट स्ट्रैडल कहा जाता है।
  • अगर मार्केट या अंडरलाइंग एक्सपायरी डेट से पहले तेजी से चलता है तो स्ट्रैटेजी से मुनाफा होगा।
  • लॉन्ग स्ट्रैडल स्ट्रैटेजी को डेल्टा न्यूट्रल स्ट्रैटेजी माना जाता है।
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